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रस - रस के प्रकार - स्थायी भाव विस्तार पूर्वक उदाहरण सहित | हिन्दी व्याकरण | Hindi Vyakaran |

 

    ● रस ●

"कविता कहानी या उपन्यास को पढ़ने से जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहते हैं। रस काव्य की आत्मा है।"

रसों के आधार भाव हैं। भाव मन के विकारों को कहते हैं।

ये दो प्रकार के होते हैं-

1. स्थायी भाव।
2. संचारी भाव।

1. स्थाई भाव -

रस रूप में पुष्ट होने वाला तथा सम्पूर्ण प्रसंग में व्याप्त रहने वाला भाव स्थाई भाव कहलाता है। स्थाई भाव 9 माने गए हैं किंतु वात्सल्य नाम का दसवां स्थाई भाव भी स्वीकार किया जाता है।

भरत मुनि ने अपने ग्रन्थ नाट्य शास्त्र में 8 रस ही माने हैं।शान्त और वात्सल्य को उन्होंने रस नहीं माना। किन्तु बाद के आचार्यों ने शांत और वात्सल्य को रस माना है जिस कारण अब रस 10 माने जाते हैं। नीचे क्रमशः पहले रस तथा उसके बाद स्थाई भाव दिए गए हैं-

रस    -    स्थाई भाव

1. श्रृंगार--रति

2. हास्य---हास

3. करुण--शोक

4. रौद्र---क्रोध

5. वीर--उत्साह

6. भयानक---भय

7. वीभत्स---जुगुप्सा

8. अद्भुत---विस्मय

9. शांत---निर्वेद

10. वात्सल्य---वत्सलता



1. श्रृंगार रस -

जब किसी काव्य में नायक नायिका के प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है। यह 2 प्रकार का होता है-

1. संयोग श्रृंगार
2. वियोग श्रृंगार

1.संयोग श्रृंगार--जब नायक नायिका के मिलने और प्रेम क्रियायों का वर्णन होता है तो संयोग श्रृंगार होता है।

उदाहरण---

मेरे तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोई
जाके तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।

2. वियोग श्रृंगार----जब नायक नायिका के बिछुड़ने का वर्णन होता है तो वियोग श्रृंगार होता है।

उदाहरण---

हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी
तुम देखि सीता मृग नैनी।


2. हास्य रस--

जब किसी काव्य आदि को पढ़कर हँसी आये तो समझ लीजिए यहां हास्य रस है।

उदाहरण--

चींटी चढ़ी पहाड़ पे मरने के वास्ते
नीचे खड़े कपिल देव केंच लेने के वास्ते।


3. करुण रस -- जब भी किसी साहित्यिक काव्य ,गद्य आदि को पढ़ने के बाद मन में करुणा,दया का भाव उत्पन्न हो तो करुण रस होता है।

उदाहरण---

दुःख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज जो नही कही।


4. रौद्र रस--

जब किसी काव्य में किसी व्यक्ति के क्रोध का वर्णन होता है तो वहां रौद्र रस होता है।

उदाहरण---

अस कहि रघुपति चाप  चढ़ावा,
यह मत लछिमन के मन भावा।
संधानेहु प्रभु बिसिख कराला,
उठि ऊदथी उर अंतर ज्वाला।

5. वीर रस--

जब किसी काव्य में किसी की वीरता का वर्णन होता है तो वहां वीर रस होता है।

उदाहरण--

चमक उठी सन सत्तावन में वो तलवार पुरानी थी,
बुंदेलों हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी।


6. भयानक रस--

जब भी किसी काव्य को पढ़कर मन में भय उत्पन्न हो या काव्य में किसी के कार्य से किसी के भयभीत होने का वर्णन हो तो भयानक रस होता है।

उदाहरण---

लंका की सेना कपि के गर्जन रव से काँप गई,
हनुमान के भीषण दर्शन से विनाश ही भांप गई।

7. वीभत्स रस---


वीभत्स यानि घृणा।जब भी किसी काव्य को पढ़कर मन में घृणा आये तो वीभत्स रस होता है।ये रस मुख्यतः युद्धों के वर्णन में पाया जाता है जिनमें युद्ध के पश्चात लाशों, चील कौओं का बड़ा ही घृणास्पद वर्णन होता है।

उदाहरण----

कोउ अंतडिनी की पहिरि माल इतरात दिखावट।
कोउ चर्वी लै चोप सहित निज अंगनि लावत।

8. अद्भुत रस--

जब किसी गद्य कृति या काव्य में किसी ऐसी बात का वर्णन हो जिसे पढ़कर या सुनकर आश्चर्य हो तो अद्भुत रस होता है।

उदाहरण---

कनक भूधराकार सरीरा
समर भयंकर अतिबल बीरा।


9. शांत रस--

जब कभी ऐसे काव्यों को पढ़कर मन में असीम शान्ति का एवं दुनिया से मोह खत्म होने का भाव उत्पन्न हो तो शांत रस होता है।

उदाहरण---

मेरो मन अनत सुख पावे
जैसे उडी जहाज को पंछी फिर जहाज पे आवै।


10. वात्सल्य रस---

जब काव्य में किसी की बाल लीलाओं या किसी  के बचपन का वर्णन होता है तो वात्सल्य रस होता है।सूरदास ने जिन पदों में श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया है उनमें वात्सल्य रस  है।

उदाहरण---

मैया मोरी दाऊ ने बहुत खिजायो।
मोसों कहत मोल की लीन्हो तू जसुमति कब जायो।


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77 टिप्पणियाँ
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  1. This is very helpful for me. Thanks Study Circle.
    I am satisfied with this

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  2. very bad not satisfied
    somethings are not all true
    dont give fake information to students

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  3. sanyog ras ka jo example Hai i think usme thoda sa mistake hai

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  4. भक्ति रस का भी वर्णन करे |

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  5. उदाहरण के बाद स्पष्टीकरण का होना भी जरूरी है।
    उसे भी इसमें एड करें

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  6. It was a very good explanation
    Thank you study circle

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  7. India's no. One chutiya we are a very big donkey Maine sahi likha hai bilkun

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  8. रस का शाब्दिक अर्थ है आनंद। काब्य को पढ़ने और सुनने में जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहा जाता है। पाठक या श्रोता के हृदय में स्थित स्थाई भाव ही विभावादि से संयुक्त हो कर रस रूप में परिणत हो जाता है। रस को काव्य की आत्मा / प्राण तत्व माना जाता है। रस के भेद : हास्य रस, रौद्र रस, करुण रस, वीर रस, अद्भुत रस, वीभत्स रस, भयानक रस, शांत रस, वात्सल्य रस, भक्ति रस

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  9. Aap kripya 11 raso k k udaharan sahit dale ... 10th k boadrs mei yaha aata h aur bahut mahatwapoorn h ..

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  10. I am not satisfied with that, because you don't explain about four parts of Ras.So,it was not helpful for me.

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  11. Excellent article. Very interesting to read. I really love to read such a nice article. Thanks! keep rocking. 먹튀폴리스

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  12. thanks lots for givion and our circle of relatives trust that this text is interesting, that's extremely critical. Thanks for the whole thing! 검증나라

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